स्त्री और पुरुष स्त्री और पुरुष
प्रेम के आधार पर घर अनगिनत खड़े हो जाते हैं फिर एक दूजे के प्रेम में जीवन सखा हो जाते प्रेम के आधार पर घर अनगिनत खड़े हो जाते हैं फिर एक दूजे के प्रेम में जीवन सखा...
कहते हैं स्त्री गृहस्थी संभालती है, कहते है पुरूष धन कमाता है, देखो मेरी ओर कहते हैं स्त्री गृहस्थी संभालती है, कहते है पुरूष धन कमाता है, देखो मेरी ओ...
जब यह तेरी इज्जत करना सीख जाएगा तब खुदबखुद ही जग सुंदर हो जाएगा... जब यह तेरी इज्जत करना सीख जाएगा तब खुदबखुद ही जग सुंदर हो जाएगा...
परिवार स्त्री-पुरुष से समाज स्त्री-पुरुष से संतान स्त्री-पुरुष से परिवार स्त्री-पुरुष से समाज स्त्री-पुरुष से संतान स्त्री-पुरुष से
उसी पिंजरे में/ जिसे नाम तो घर का मिला है पर .घुटता है दम/हरदम उसी पिंजरे में/ जिसे नाम तो घर का मिला है पर .घुटता है दम/हरदम